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जानिए मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री के बारे में...

 12 Dec 2023

तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने और लगभग आठ दिनों तक की गयी माथापच्ची के बाद आखिरकार मध्य प्रदेश के नये मुख्यमंत्री का नाम तय हो गया। नाम है डॉक्टर मोहन यादव।

सोमवार देर शाम हुई इस घोषणा के ज़रिए बीजेपी आलाकमान ने सबको चौंका दिया। जो नाम सुर्खियों में थे, उनमें से किसी नाम पर मुहर नहीं लगी।

डॉ.मोहन यादव के साथ जगदीश देवड़ा और राजेश शुक्ला को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। इसके अलावा पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मध्यप्रदेश विधानसभा का स्पीकर नियुक्त किया गया है।

इसी के साथ लगभग 18 सालों मध्यप्रदेश की बागडोर संभाल रहे शिवराज सिंह चौहान अब निवर्तमान मुख्यमंत्री हो गये हैं। विधानसभा चुनाव में जमकर मेहनत करने वाले और चार बार मुख्यमंत्री रह चुके शिवराज को आखिर आलाकमान ने नेपथ्य में क्यों डाला, इसके पीछे पार्टी की क्या रणनीति है, पॉलिटिकल पंडित अपने-अपने हिसाब से इसका विश्लेषण कर रहे हैं। फिलहाल हम इन सवालों पर चर्चा नहीं करेंगे। हम चर्चा करेंगे मुख्यमंत्री पद के लिए आलाकमान की पसंद बने मोहन यादव की।

डॉ.मोहन यादव उज्जैन दक्षिणी विधानसभा सीट से विधायक हैं। 2013 में वे पहली बार विधायक चुने गए थे। 2018 में इसी सीट से दूसरी बार विधायक चुने गए। 2020 में जब कमलनाथ की सरकार गिरी और मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार सत्ता में आई तब मोहन यादव को उच्च शिक्षा मंत्री बनाया गया।

एक नज़र उनके राजनीतिक करियर पर भी डालते हैं - मोहन यादव ने छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। 25 मार्च 1965 को मध्यप्रदेश के उज्जैन में जन्में मोहन यादव साल 1982 में माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के सह-सचिव चुने गये थे। 1984 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी एबीवीपी के उज्जैन में नगर मंत्री बनाये गये। छात्रों का यह संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा हुआ है। चार साल बाद 1988 में मोहन यादव को एबीवीपी, मध्यप्रदेश का प्रदेश सह-मंत्री बनाया गया। साथ ही वे संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी बनाये गये। उसके बाद 1991-92 में उन्हें एबीवीपी का राष्ट्रीय मंत्री बनाया गया।

डॉक्टर मोहन यादव ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-खंड कार्यवाह, खंड कार्यवाह, नगर कार्यवाह जैसे पदों की ज़िम्मेदारी भी संभाली। 1997 में वे भारतीय जनता युवा मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने। उसके बाद सन 2000 में वे विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की कार्य परिषद के सदस्य बने। इसी दौरान वे भाजपा के नगर जिला महामंत्री भी रहे।

डॉ. मोहन यादव 2013 से उज्जैन दक्षिणी क्षेत्र से विधायक हैं। और अब 2023 में भाजपा आलाकमान ने उन्हें मध्यप्रदेश की कमान सौंपी है।

वैसे, मोहन यादव अपने विवादित बयानों के लिए भी चर्चा में रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोनीत होने के बाद उनके ये बयान फिर से चर्चा में हैं।

उनके कुछ बयानों पर एक नज़र डाल लेते हैं- मीडिया खबरों के अनुसार, वर्ष 2020 के उपचुनाव मोहन यादव ने कहा था कि 'हम भाजपा के लोग हैं। बुरा करने वालों को ज़मीन में दफना देते हैं। इसके बाद चुनाव आयोग ने यादव के चुनाव प्रचार पर एक दिन की रोक लगा दी थी।

नगरीय निकाय चुनाव के दौरान मोहन यादव की प्रचार के दौरान नोट बांटने की तस्वीर चर्चा में रही थी। तब कांग्रेस ने इसकी शिकायत निर्वाचन आयोग से की थी।

एक दूसरे वायरल वीडियो में मोहन यादव एक वर्ग विशेष को धमकाते हुए दिखाई दे रहे हैं। दरअसल, उन्होंने ने उज्जैन के टॉवर चौक पर आम सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेताओं के प्रति आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करते हुए कहा था, “सुन, लो कांग्रेस नेताओं…तुम्हारा पता नहीं लगेगा, कहां से आए हो? अभी भी तुम्हारी औकात ठिकाने नहीं आई है।”

वायरल वीडियो में मोहन यादव कहते हुए सुने जा सकते हैं कि “उज्जैन में होने वाले विकास के कार्यों में अड़ंगा लगाओगे, तुम्हारे बाप ने दूध पिलाया है, तुम्हारी औकात क्या है?”

यही नहीं, उन पर उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले के लिए चिन्हित क्षेत्र से अपनी ज़मीन को हटाने के लिए मास्टर प्लान में बदलाव कराने का आरोप भी लगा था। बहरहाल, तमाम विवादों के बावजूद अब वे आलाकमान की पसंद हैं। मध्यप्रदेश अब उनके हवाले है।